राजस्थान में संगीत

राजस्थान में संगीत अलग-अलग जातियों के हिसाब से है ,जिसमें ये जातियां आती है -लांगा ,सपेरा , मांगणीयरभोपा और जोगी। यहां संगीतकारों के दो परम्परागत कक्षाएं है एक लांगा और और दूसरी मांगणीयर। राजस्थान में पारम्परिक संगीत में महिलाओं का गाना जो बहुत प्रसिद्ध है जो कि (पणीहारी) नाम से है। इनके अलावा विभिन्न जातियों के संगीतकार अलग-अलग तरीकों से गायन करते हैं। सपेरा बीन बजाकर सांप को नचाता है तो भोपा जो फड़ में गायन करता है। राजस्थान के संगीत में लोकदेवताओं पर भी काफी गीत गाये गए हैं। इनके अलावा विभिन्न जातियों के लोग अलग-अलग तरीक़ों से गायन करते हैं। सपेरा बीन बजाके सांप को नचाता है तो भोपा फड़ में गायन करते हैं। राजस्थान के संगीत में लोकदेवाताओ पर भी काफी गायन होता है जिसमें मुख्य रूप से पाबूजी ,बाबा रामदेव जी ,तेजाजी इत्यादि लोकदेवाताओं पर भजन गाये जाते है।



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